अगर टकरे तो सब ख़त्म हो सकता है, महाभारत के ऐसे महाविनाशक हथियार|
नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका काम की बात में और इस पोस्ट में हम आपको बताएँगे महाभारत में प्रयोग हुए 10 ऐसे अस्त्रों के बारे में जो महाभारत काल में उपयोग हुए थे| जिनमे सिर्फ ये दुनिया नही, हमारा ब्रह्माण्ड नहीं, बाकी के ब्रह्माण्ड बल्कि भूत और भविष्य के ब्रह्माण्डो को खत्म करने की शक्ति है|

इस से पहले की हम आपको उन 10 अस्त्रों के बारे में बताये, आप यह जान ले की आखिर अस्त्र और शस्त्र में अंतर क्या होता है |
अस्त्र
अस्त्र वे हथियार हैं, जिनके चलने-चलाने पर हमला करने वाले को उन्हें पकड़ना होता है। ये अस्त्र कहलाते हैं। जैसे की तलवार, गदा और धनुष, भाला आदि।
शस्त्र
वहीं दूसरी तरफ शस्त्र ऐसे हथियार होते हैं, जिनके चलते समय हमला करने वाले और हथियार के बीच स्पर्श नहीं होता। अगर आसान भाषा में समझे तो ये या तो यंत्रों की मदद से फेंके जाते थेया इन्हें लॉन्च किया जाता है। ये शस्त्र कहलाते है। इनके उदाहरण हैंः रोकेट, मिसाइल, गोले, भाला, तीर|
1. सुदर्शन चक्र (Sudarshan)

सुदर्शन चक्र भगवान विष्णु से जुड़ा एक शक्तिशाली हथियार है। “सुदर्शन” शब्द का अर्थ है “शुभ दृष्टि” या “दिव्य दृष्टि”, जबकि “चक्र” का अर्थ होता है एक गोलाकार डिस्क या पहिया| इस अस्त्र को उन्होंने स्वयं तथा उनके अवतार श्री कृष्ण ने धारण किया था। ऐसा कहा और माना जाता है की इस चक्र को विष्णु जी ने गढ़वाल के श्रीनगर स्थित कमलेश्वर शिवालय में तपस्या कर के प्राप्त किया था। भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण ने इस चक्र से अनेक असुरों दानव, दैत्य और राक्षस का वध किया था। त्रेतायुग में सुदर्शन चक्र ने अयोध्या के राजकुमार शत्रुघन के रूप में जन्म लिया था तथा मूल रूप से सुदर्शन ने महिष्मति नरेश विश्वसम्राट श्री कार्तवीर्य अर्जुन के रूप में जन्म लिया था। श्री कार्तवीर्य अर्जुन, सहस्रबाहु अर्जुन या श्री सहस्रार्जुन के रूप में भी जाने जाते है, पुराणों के अनुसार वो भगवान विष्णु के मानस पुत्र और भगवान सुदर्शन का स्वयंअवतार तो है ही| उन्होंने सात महाद्वीपों और कुछ ग्रंथों के अनुसार ब्रह्मांड पर विजय प्राप्त की और अपनी राजधानी माहिष्मती से 85 हजार वर्षों तक शासन किया।
सुदर्शन चक्र की उत्पत्ति
एक बार असुरों ने स्वर्ग पर आक्रमण करके देवताओं को बंदी बना लिया। भगवान विष्णु भी असुरों को मारने में असफल हुए। तब विष्णु जी ने भगवान शिव की पूजा शुरू की जिसमें उन्होंने एक सहस्त्र कमल पुष्पों से भगवान शंकर का पूजन किया। भगवान शिव भगवान नारायण की भक्ति से प्रभावित हुए। उन्होंने एक कमल पुष्प अपनी माया से लुप्त कर दिया। उस कमल पुष्प को ढूंढने की भगवान विष्णु ने बहुत प्रयत्न किये लेकिन उन्हें पुष्प नहीं मिला। पुष्प की कमी पूरी करने के लिए उन्होंने अपना एक नेत्र निकाल लिया और शिवलिंग पर अर्पित किया। उनकी इस भक्ति से भगवान शिव पहले से भी अधिक प्रभावित हुए और उन्होंने भगवान विष्णु को एक अचूक चक्र प्रदान किया। उस चक्र से भगवान विष्णु ने सभी असुरों का वध कर दिया और देवताओं को पुन: स्वर्ग दिया।
2. पाशुपतास्त्र अस्त्र (Pashupatastra)

देवाधिदेव महादेव शिव के अस्त्रों में महाविनाशक अस्त्र पाशुपतास्त्र और त्रिशूल प्रमुख है। भारतीय पुरातन ग्रन्थों के अनुसार पाशुपतास्त्र अस्त्र एक ऐसा अत्यन्त विध्वंसक अस्त्र है और जिसके प्रहार से बचना अत्यन्त कठिन है। यह अस्त्र शिव, काली और आदि परा शक्ति का हथियार है, जिसे मन, आँख, शब्द से या धनुष से छोड़ा जा सकता है। इस अस्त्र को अपने से कम बली या कम योद्धा पर नहीं छोड़ा जाना चाहिये। पाशुपातास्त्र सम्पूर्ण सृष्टि का विनाश कर सकता है। शिव जी इसे ब्रह्माण्ड की सृष्टि से पहले ही घोर तप करके आदि परा शक्ति से प्राप्त किया था। यह ब्रह्मास्त्र द्वारा रोका जा सकता है किन्तु यह विष्णु जी के किसी भी अस्त्र को नहीं रोक सकता। पुरातन ग्रन्थों के अनुसार श्रीराम ने इस अस्त्र को शिव से प्राप्त कर अश्वमेध यज्ञ के समय शिव पर ही छोड़ दिया था, और अर्जुन ने महाभारत युद्ध से पहले शिव से प्राप्त किया था। त्रिशूल के बाद यह सबसे शक्तिशाली शस्त्र है जिसके प्रहार से सारी सृष्टि नष्ट हो सकती है। अर्जुन ने इस अस्त्र का उपयोग इसी कारण से नहीं किया था। केवल शिव के अस्त्र या विष्णु का सुदर्शन चक्र ही इसे निष्प्रभाव कर सकते हैं।
3. नारायणास्त्र (Narayan-Astra)

भगवान विष्णु जी ने नारायणास्त्र को निर्मित किया था। यह एक तरह का बाण होता है जिसे दैवी अस्त्र भी कहा जाता है। इस बाण से शत्रु कभी नहीं बच सकता है।यह बाण शत्रु का मौत तक पीछा करता है। आपको बता दें कि अगर शत्रु इस बाण के सामने अपना सिर भी झुका दे या हार मान जाए तो भी यह शत्रु का विनाश कर ही देता है। NarayanAstra भगवान विष्णु के द्वारा नारायणास्त्र को निर्मित किया गया था। यह एक तरह का बाण होता है। यह बाण भगवान नारायण का दैवी अस्त्र भी माना जाता है।
ऐसा माना जाता है कि इस बाण से शत्रु कभी नहीं बच सकता है। इस बाण के तीर शत्रु की मौत तक उसका पीछा करता है। आपको बता दें कि अगर शत्रु इस बाण के सामने अपना सिर भी झुका दे या हार मान जाए तो भी यह शत्रु का विनाश कर ही देता है।
4. ब्रह्मास्त्र (Brahmashtra)

ब्रह्मास्त्र ब्रह्मा द्वारा निर्मित एक अत्यन्त शक्तिशाली और संहारक अस्त्र है जिसका उल्लेख संस्कृत ग्रन्थों में कई स्थानों पर मिलता है। यह दिव्यास्त्र ब्रह्मा जी का सबसे मुख्य अस्त्र माना जाता है। एक बार इसके चलने पर विपक्षी प्रतिद्वन्दी के साथ साथ विश्व के बहुत बड़े भाग का विनाश हो जाता है।
यदि एक ब्रह्मास्त्र भी शत्रु के खेमें पर छोड़ा जाए तो ना केवल वह उस खेमे को नष्ट करता है बल्कि उस पूरे क्षेत्र में 12 से भी अधिक वर्षों तक अकाल पड़ता है। और यदि दो ब्रह्मास्त्र आपस में टकरा दिए जाएं तब तो मानो प्रलय ही हो जाती है। इससे समस्त पृथ्वी का विनाश हो जाएगा और इस प्रकार एक अन्य भूमण्डल और समस्त जीवधारियों की रचना करनी पड़ेगी। महाभारत के युद्ध में दो ब्रह्मास्त्रों के टकराने की स्थिति तब आई जब ऋषि वेदव्यासजी के आश्रम में अश्वत्थामा और अर्जुन ने अपने-अपने ब्रह्मास्त्र चला दिए। तब वेदव्यासजी ने उस टकराव को टाला और अपने-अपने ब्रह्मास्त्रों को लौटा लेने को कहा। अर्जुन को तो ब्रह्मास्त्र लौटाना आता था, लेकिन अश्वत्थामा ये नहीं जानता था और तब उस ब्रह्मास्त्र को उसने उत्तरा के गर्भ पर छोड़ दिया। उत्तरा के गर्भ में परीक्षित थे जिनकी रक्षा भगवान श्री कृष्ण ने की।
5. वास्वि शक्ति (Vasavi Shakti)

वास्वि शक्ति अस्त्र को अमोघ अस्त्र भी कहा जाता है। यह महाविनाशकारी अस्त्र इंद्र के पास था। इसे एक बार ही प्रयोग किया जा सकता था और यह अचूक था। कर्ण को यह अस्त्र इंद्र ने कवच कुंडल के बदले में दिया था। कर्ण इस अस्त्र का प्रयोग अर्जुन पर करना चाहता था। परन्तु कर्ण को वासवी शक्ति अस्त्र का प्रयोग न चाहते हुई भी अपने मित्र दुर्योधन के कहने पर अति शक्तिशाली योद्धा घटोत्कच को मारने के लिए करना पड़ा था|
6. वज्रास्त्र (Vajra)

इंद्र के पास जो वज्र था उसे वज्रास्त्र (Vajrastra) कहा जाता था। इस अत्यधिक शक्तिशाली हथियार को चलाने पर इतनी उर्जा निकलती थी कि यह लाखों प्राणियों को पल भर में भस्म कर सकती थी। इंद्र ने इसके जरिए वल और वत्र जैसे बलशाली राक्षसों की हत्या की थी। उन्होंने इसके जरिए बाल हनुमान को भी अचेत कर दिया था।
वज्रास्त्र की उत्पत्ति
एक बार देवराज इंद्र अपनी सभा में बैठे थे और उसी समय देव गुरु बृहस्पति आए | अहंकारवश गुरु बृहस्पति के सम्मान में इंद्र उठ कर खड़े नहीं हुए | बृहस्पति ने इसे अपना अपमान समझा और देवताओं को छोड़कर चले गए | देवताओं को विश्वरूप को अपना पुरोहित बना कर काम चलाना पड़ा किन्तु विश्वरूप कभी-कभी देवताओं से छिपा कर असुरों को भी यज्ञ-भाग दे दिया करता था | इंद्र ने उस पर कुपित होकर उसका सिर काट लिया | विश्वरूप त्वष्टा ऋषि का पुत्र था, उन्होंने क्रोधित होकर इन्द्र को मारने के उद्देश्य से महाबली वृत्रासुर को उत्पन्न किया | वृत्रासुर के भय से इंद्र अपना सिंहासन छोड़ कर देवताओं के साथ मारे-मारे फिरने लगे |
ब्रह्मा जी की सलाह से देवराज इंद्र महर्षि दधीचि के पास उनकी हड्डियां मांगने के लिए गए | उन्होंने महर्षि से प्रार्थना करते हुए कहा, ‘‘प्रभो! त्रैलोक्य की मंगल-कामना हेतु आप अपनी हड्डियां हमें दान दे दीजिए |’’महर्षि दधीचि ने कहा, ‘‘देवराज! यद्यपि अपना शरीर सबको प्रिय होता है, किन्तु लोकहित के लिए मैं तुम्हें अपना शरीर प्रदान करता हूं.’’महर्षि दधीचि की हड्डियों से वज्र का निर्माण हुआ और वृत्रासुर मारा गया। इस प्रकार एक महान परोपकारी ऋषि के अपूर्व त्याग से देवराज इंद्र बच गए और तीनों लोक सुखी हो गए | अपने अपकारी शत्रु के भी हित के लिए सर्वस्व त्याग करने वाले महर्षि दधीचि जैसा उदाहरण संसार में अन्यत्र मिलना कठिन है । इस प्रकार वज्र अस्त्र का निर्माण हुआ।
हिंदू धर्म के अनुसार, वज्र को ब्रह्मांड में सबसे शक्तिशाली हथियारों में से एक माना जाता है। प्रतीकात्मक और अनुष्ठान उपकरण के रूप में वज्र का उपयोग मुख्य रूप से तांत्रिक बौद्ध धर्म में पाया जाता है।
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7. ब्रह्मांडास्त्र (Brahmandastra)

सबसे खतरनाक ब्रह्मांडास्त्र (Brahmandastra) यानी वो अस्त्र जो पूरे सौर मंडल या फिर ब्रह्मांड को खत्म कर दे| अग्नि पुराण (Agni Purana) में दवाओं, राजनीति, कृषि, योजना, मंदिरों, योग और मोक्ष आदि के बारे में भी बताया गया है| इसी में 249 से लेकर 252 अध्याय तक 32 प्रकार के मार्शल आर्ट यानी युद्धकलाओं और हथियारों के बनने और उनके मेंटेनेंस के बारे में भी बताया गया है|
8. ब्रह्मशिर (Brahmashirsha)

ब्रह्माजी ने ब्रह्मास्त्र से भी अधिक शक्तिशाली ब्रह्मशिर अस्त्र बनाया था। जैसा कि नाम से पता चलता है, इसमें ब्रह्मास्त्र की तुलना में चार गुना अधिक शक्ति थी। इसके नोंक के स्थान पर ब्रह्मा जी के चारों शीश लगे हुए थे। इसके प्रयोग से ब्रह्मास्त्र को भी विलीन किया जा सकता था। इस अस्त्र की प्राप्ति केवल महर्षि अग्निवेश, भगवान परशुराम और अर्जुन ही आहवान् करके प्राप्त कर सकते थे| ब्रह्मशिर की प्राप्ति अत्यंत ही कठिन ठी, और उसको साध पाना उससे भी ज्यादा कठिन। ब्रह्मशिर की प्राप्ति भगवान ब्रह्मा की तपस्या के फलस्वरूप होती थी।
प्रयोग
ब्रह्मशिरा अस्त्र के प्रयोग का केवल एक ही वृत्तांत मिलता है, जिसमे देवासुर संग्राम में असुर राज जलन्धर द्ववारा देवताओं की सेना पर किया गया था|
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9. त्रिशूल (Trishul)

त्रिशूल अस्त्र तीन चोंच वाला धात्विक सिर का भाला या हथियार होता है, जो कि लकडी़ या बांस के डंडे पर भी लगा हो सकता है। इस अस्त्र का नाम मुख्य रूप से भगवान शिव और देवी दुर्गा के साथ जोड़ा जाता है। महाभारत के युद्ध में भी त्रिशूल का प्रयोग बहुत किया है|
त्रिशूल देवी दुर्गा उनके महिषासुर मर्दिनी रूप में भी उनके पास होता है| वे इससे महिषासुर राक्षस को मारती हुई दिखाई देतीं हैं।
शिव त्रिशूल :
- त्रिशूल 3 प्रकार के कष्टों दैनिक, दैविक, भौतिक के विनाश का सूचक भी है।
- इसमें 3 तरह की शक्तियां हैं- सत, रज और तम।
- त्रिशूल के 3 शूल सृष्टि के क्रमशः उदय, संरक्षण और लयीभूत होने का प्रतिनिधित्व करते भी हैं।
- माना जाता है कि यह महाकालेश्वर के 3 कालों (वर्तमान, भूत, भविष्य) और वाम भाग में स्थिर इड़ा, दक्षिण भाग में स्थित पिंगला तथा मध्य देश में स्थित सुषुम्ना नाड़ियों का भी प्रतीक माना जाता है।
10. वैष्णवास्त्र (Vaishnavastra)

भगवान विष्णु से ग्रहण किया जाने वाले वैष्णवास्त्र (Vaishnavastra) के बारे में प्रभु श्रीराम को ज्ञान था। महाभारत में इसका इस्तेमाल अर्जुन पर किया गया था। हालांकि, इसे श्रीकृष्ण ने इसे अपने ऊपर ले लिया था तो वह फूल की एक माला में तब्दील हो गया था। ऐसा इसलिए, क्योंकि श्रीकृष्ण भगवान विष्णु के ही अवतार हैं।
11. रौद्रास्त्र(Raudrastra)

अर्जुन ने स्वर्ग में हजारों काल के दैत्यों-राक्षसों का वध इसी रौद्रास्त्र की मदद से किया था।अर्जुन इसका इस्तेमाल कर्ण पर करणे वाले थे लेकिन उन्होंने ऐसा नही किया था क्युकी कर्ण के रथ का पहिया गड्ढ़े में फास गया था| श्री राम ने इसका इस्तेमाल कुंभकरण पर किया था।
तो दोस्तों ये थे 10 ऐसे अस्त्र जिस से दुनिया तो क्या कई ब्रह्माण्ड तक खत्म किये जा सकते है आपको ये जानकारी कैसी लगी हमे कमेंट करके जरुर बताये और हम आपके लिए और ऐसे रोचक तथ्य लाते रहेंगे| मिलते हैं अगले पोस्ट में|
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