क्या गंगा शापित है? क्यूं ज़ीउस ने अपनी संतानों को खा लिया था? एक ऐसा भगवान् जो मनुष्यों को खा जाता था| आज कई ऐसी सच्चाई आप इस पोस्ट के ज़रिये जानेंगे… नमस्कार दोस्तों, स्वागत है आपका काम की बात में| मैं हूँ आपका दोस्त और इस पेज का होस्ट| आज हम जानेंगे 5 भगवानो के बारे में 5 ऐसे तथ्य जिसको सुनते ही आपके चकित हो जायेंगे| तो चलिए शुरू करते हैं|

तथ्य:

गंगा-

जैसा की आप सभी जानते हैं की गंगा भारत की सबसे पवित्र व शुद्ध नदी मानी जाती है| परन्तु क्या आप ये जानते हैं की गंगा शापित भी है? जी हाँ आपने सही सूना| माना जाता है की जब ब्रह्मा जी अपने कमंडल से विष्णु जी के पैर धो रहे थे, तब गंगा का जन्म उस जल से हुआ था | गंगा पहले एक युव्व्ती रूप में ही थी, परन्तु एक दिन जब तेज़ हवा के झोंके से ऋषि दुर्रस(durras)के सारे कपडे उडगए तो गंगा उन पर हसने लगी और इसके फलस्वरूप ऋषि क्रोधित हो गए | उन्होंने गंगा को न सिर्फ नदी बनने का श्राप दे दिया बल्कि यह भी कहा की हर व्यक्ति अपने पाप धोने व मोक्ष प्राप्त करने गंगा में ही आएगा| एक और मान्यता के अनुसार गंगा पर्वतों के राजा हिमवान और उनकी पत्नी मीना की पुत्री हैं, इस प्रकार वे देवी पार्वती की बहन भी हैं। और गंगा एकमात्र ऐसी नदी है जो तीनों लोकों में बहती है-स्वर्ग, पृथ्वी, तथा पाताल। ऐसी मान्यता है कि सरस्वती नदी के समान ही, कलयुग (वर्तमान का अंधकारमय काल) के अंत तक गंगा पूरी तरह से सूख जायेगी और उसके साथ ही यह युग भी समाप्त हो जायेगा। उसके बाद सतयुग (अर्थात सत्य का काल) का उदय होगा।

पृथ्वी पर गंगा का अवतरण
कई वर्षों बाद, सगर नामक एक राजा को वरदान स्वारूप साठ हज़ार पुत्रों की प्राप्ति हो गयी। एक दिन राजा सगर ने अपने साम्राज्य की समृद्धि के लिए एक अनुष्ठान करवाया। एक अश्व उस अनुष्ठान का एक अभिन्न हिस्सा था, जिसे इंद्र ने ईर्ष्यावश चुरा लिया। सगर ने उस अश्व की खोज के लिए अपने सभी पुत्रों को पृथ्वी के चारों तरफ भेज दिया। उन्हें वह पाताललोक में ध्यानमग्न कपिल ऋषि के निकट मिला। यह मानते हुए कि उस अश्व को कपिल ऋषि द्वारा ही चुराया गया है, वे उनका अपमान करने लगे और उनकी तपस्या को भंग कर दिया। ऋषि ने कई वर्षों में पहली बार अपने नेत्रों को खोला और सगर के बेटों को देखा। इस दृष्टिपात से वे सभी के सभी साठ हजार जलकर भस्म हो गए।
अंतिम संस्कार न किये जाने के कारण सगर के पुत्रों की आत्माएं प्रेत बनकर विचरने लगीं। सगर के पुत्र राजा अन्शुमान ने गंगा को पृथ्वी पर लाने के लिए तपस्या की परन्तु अपने पिता के सामान वो भी असफल रहे और मृत्यु को प्राप्त हो गए| तब अंशुमान के पुत्र दिलीप ने भी तपस्या करी परन्तु वे भी असफल रहे| जब दिलीप के पुत्र और सगर के एक वंशज भगीरथ ने इस दुर्भाग्य के बारे में सुना तो उन्होंने प्रतिज्ञा की कि वे गंगा को पृथ्वी पर लायेंगे ताकि उसके जल से सगर के पुत्रों के पाप धुल सकें और उन्हें मोक्ष प्राप्त हो सके।
भगीरथ ने गंगा को पृथ्वी पर लाने के लिए ब्रह्मा जी की तपस्या की। ब्रह्मा जी मान गए और गंगा को आदेश दिया कि वह पृथ्वी पर जाये और वहां से पाताललोक जाये ताकि भगीरथ के वंशजों को मोक्ष प्राप्त हो सके। गंगा को यह काफी अपमानजनक लगा और उसने तय किया कि वह पूरे वेग के साथ स्वर्ग से पृथ्वी पर गिरेगी और उसे बहा ले जायेगी। तब भगीरथ ने घबराकर शिवजी से प्रार्थना की कि वे गंगा के वेग को कम कर दें।
गंगा पूरे अहंकार के साथ शिव के सिर पर गिरने लगी। लेकिन शिव जी ने शांति पूर्वक उसे अपनी जटाओं में बांध लिया और केवल उसकी छोटी-छोटी धाराओं को ही बाहर निकलने दिया। शिव जी का स्पर्श प्राप्त करने से गंगा और अधिक पवित्र हो गयी। और इस प्रकार गंगा पृथ्वी पर आई|


छिन्नमस्ता-

हिंदू धर्म में सभी देवताओं के अवतार की अलग-अलग पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं| दस आदिशक्तियों में छठवां अवतार छिन्नमस्ता माता का माना गया है| छिन्नमस्ता माता को मां पार्वती का स्वरूप माना जाता है जो कि काफी उग्र रूप में रहती हैं| छिन्नमस्ता माता के एक हाथ में स्वयं का ही कटा हुआ सिर रखा होता है| बताते हैं कि एक बार मां पार्वती अपनी दो सहचरियों के साथ भ्रमण पर निकलीं| इस दौरान माता पार्वती की रास्ते में मंदाकिनी नदी में स्नान करने की इच्छा हुई| मां पार्वती ने अपनी सहचारियों से भी स्नान करने को कहा, परंतु दोनों ने स्नान करने से इनकार कर दिया और कहा कि उनको भूख लग रही है| इस पर माता पार्वती ने उनको कुछ देर आराम करने को कहा और स्नान करने चली गईं| मां काफी देर तक स्नान करती रहीं, इसी बीच दोनों सहचरी कहती रही कि उनको भूख लग रही है| लेकिन माता ने दोनों की बात को अनसुना कर दिया| इस पर दोनों सहचरियों ने माता से कहा कि मां तो अपने शिशु का पेट भरने के लिए अपना रक्त तक पिला देती है| परंतु आप हमारी भूख के लिए कुछ भी नहीं कर रही हैं| यह बात सुनकर मां पार्वती को क्रोध आ जाता है और नदी से बाहर आकर खड्ग का आह्वान करके अपने सिर को काट देती हैं, जिससे उनके धड़ से रक्त की तीन धाराएं निकलती हैं| दो धाराएं दोनों सहचरियों के मुंह में गिरती हैं| तीसरी धारा मां के स्वयं के मुख में गिरती है| इससे सभी देवताओं के बीच कोहराम मच जाता है| जिसके बाद भगवान शिव कबंध का रूप धारण कर देवी के प्रचंड रूप को शांत करते हैं| तब से मां पार्वती के इस रूप को छिन्नमस्ता माता कहा जाने लगा|
अन्य कथा के अनुसार एक बार माता सती के पिता राजा दक्ष ने विशाल यज्ञ का आयोजन करवाया था। चूँकि राजा दक्ष भगवान शिव से द्वेष भावना रखते थे और अपनी पुत्री सती के द्वारा उनसे विवाह किये जाने के कारण शुब्ध थे, इसलिए उन्होंने उन दोनों को इस यज्ञ में नही बुलाया। भगवान शिव इस बारे में जानते थे लेकिन माता सती इस बात से अनभिज्ञ थी।
यज्ञ से पहले जब माता सती ने आकाश मार्ग से सभी देवी-देवताओं व ऋषि-मुनियों को उस ओर जाते देखा तो अपने पति से इसका कारण पूछा। भगवान शिव ने माता सती को सब सत्य बता दिया और निमंत्रण ना होने की बात कही। तब माता सती ने भगवान शिव से कहा कि एक पुत्री को अपने पिता के यज्ञ में जाने के लिए निमंत्रण की आवश्यकता नही होती है।
माता सती अकेले ही यज्ञ में जाना चाहती थी। इसके लिए उन्होंने अपने पति शिव से अनुमति मांगी किंतु उन्होंने मना कर दिया। माता सती के द्वारा बार-बार आग्रह करने पर भी शिव नही माने तो माता सती को क्रोध आ गया और उन्होंने शिव को अपनी महत्ता दिखाने का निर्णय लिया। तब माता सती ने भगवान शिव को अपने 10 रूपों के दर्शन दिए जिनमे से छठी छिन्नमस्ता देवी थी|
छिन्नमस्ता देवी दोनों पहलुओं का प्रतीक है: जीवन देने वाली और जीवन लेने वाली। व्याख्या के आधार पर उसे यौन आत्म-नियंत्रण और यौन ऊर्जा का अवतार दोनों का प्रतीक माना जाता है। देवी आध्यात्मिक आत्म-साक्षात्कार और कुंडलिनी – आध्यात्मिक ऊर्जा के जागरण का संदेश देती हैं।

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ज़ूस (zeus)

ज़ूस को ग्रीक का सबसे बड़ा व शक्तिशाली भगवान् माना जाता है| ज़्यूस की माता का नाम रिया (Rhea) था और पिता का नाम क्रोनोस (Cronus) था। क्रोनोस ने अपने ही बच्चों को खाने की योजना बनाई थी, क्योंकि उन्हें दिव्य शक्ति के धमकी के कारण उनसे चिढ़ाई हो रही थी। लेकिन जब रिया ने ज़्यूस को जन्म दिया, तो उसे बचाने के लिए उसने ज़ूस को क्रोनोस के हाथों से चुराया और छिपाने के लिए गुप्त स्थान में ले गयी।
जब ज़्यूस बड़ा हुआ, तो उन्हें अपने पिता के खिलाफ विद्रोह करने का फैसला किया। ज़्यूस ने देवताओं को भी अपनी ओर खींचा और उन्हें अपने विरुद्ध लड़ाई में सहायता की। इसके पश्चात, ज़्यूस ने देवताओं की मदद से क्रोनोस और तार्टरस को हराया और खुद को देवताओं के राजा के रूप में स्थापित किया।
ज़्यूस ने बहुत सारी देवी-देवताओं के साथ संबंध बनाए और कई अश्लील और पुत्रों को जन्म दिया। वह भूमि पर लोगों के जीवन के पर ज़्यादा ध्यान नहीं देते थे और ध्यान देने के बजाय उन्होंने अपनी मनमानी की। यही कारण है कि ज़्यूस की प्रशंसा और उनके समर्थन को लेकर ग्रीक समुदाय में अलग-थलग विचार हैं।
परन्तु इतना ही नहीं बल्कि इनके कई ऐसे कर्म और भी हैं जिनको सुनकर आप सभी चकित रह जायेंगे| जैसे इन्होने अपनी गर्भवती धर्मपत्नी को खा लिया था और जिसके बाद इनकी पुत्री का जन्म इन्हें माथे से हुआ था| इतना ही नहीं बल्कि जब ज़ूस की पत्नी हेरा ने हेफेस्टस को जन्म दिया, तो ज़ीउस ने उसके घृणित रूप के कारण उसे माउंट ओलिंप की चोटी से फेंक दिया। ज़ूस शपथ तोड़ने वालों, झूठ बोलने वालों और पवित्र आतिथ्य का उल्लंघन करने वालों को दंडित करने का प्रभारी भी था|


एथीना

जैसा की आपने अभी ज़ीउस के बारे में सुना, ठीक उससे जुडी हुई यह मान्यता भी है| सर्वप्रथम हम एथीना के जन्म के बारे में मजान लेते हैं|
माना जाता है की ज़ीउस ने अपने पिता से राज पाठ छीन कर सभी देवताओ का रजा बना था| जब उसने यह भविष्यवाणी सुनी की उसकी पत्नी मेटीस का पुत्र ठीक उसी तरह ज़ीउस का राज पाठ छीन कर दुनिया पर राज करेगा जिस तरह उसने अपने पिता से राज छिना था तो वह थोडा सा घबरा गया और उसने अपनी ही पत्नी मेटीस को खा लिया| मेटीस को खाने के पश्चात उसके सर में दर्द होना शुरू हो गया| जब दर्द हद्द से बाद गया तो उसके सर को खोला गया और तब उसके सर से एथिया का जन्म हुआ| एथीना बालक न होकर पूर्ण युवती के रूप में जन्मी थी व उसे राज पाठ में कुछ दिलचस्पी भी नहीं थी तो वह ज़ीउस की सबसे प्रिय पुत्री बन गयी| कई समय बाद पोसेदिओं(poseidon) और एथीना के बीच एक प्रतियोगिता शुरू हो गयी की सक्रोप्स(cecrops) शहर का रक्षक कोण बनेगा क्यूंकि दोनों इस बात पर अड़े थे की वे खुद बनेंगे| अंत में एथीना जीत गयी| जब एक दिन मेडुसा(medusa) एथीना के मंदिर में उसकी पूजा करने जा ही रही ठी की पोसेदिओं(poseidon) को मेडुसा भा गयी व उसने उससे जबरदस्ती सम्बन्ध बनाऐ| जब एथीना को पता चला की मेडुसा ने संबंध बनाये हैं तो उसने पोसेदिओं की जगह medusa को सजा दी की वह सबसे खूबसूरत महिला अब सबसे भयानक महिला बन जाएगी| उसके बालों की जगह सांप निकल आये, व उसे श्राप मिला की जो भी व्यक्ति उसकी आँखों में देखेगा वह पत्थर का बन जायेगा| बाद में पेर्सेउस(Perseus) ने मेडुसा को मारने का प्रयास किया परन्तु उसे मारने में बहुत कठिनाई हो रही ठी तो एथीना ने पेर्सेउस(Perseus) को मेडुसा से लड़ने के लिए हथियार दिए वा अत: मेडुसा को मार डाला|


अम्मिट (ammit)

आम तौर पर ग्रीक गोड दिखने में बड़े विचित्र होते हैं| और इसी प्रकार मिस्र के पौराणिक कथाओं में अम्मिट का ज़िक्र काफी होता है जैसा की आप सभी जानते हैं की सभी देवताओ की पूजा की जाती है, परन्तु अम्मित की पूजा नहीं की जाती थी| बल्कि सब इनसे डरते थे| इतना ही नहीं ये देवता से ज्यादा दानव माने जाते थे क्योंकि मृत्त को खा जाते थे| | इनका मुख मगरमच्छ, अगले पैर शेर के, पिछले दो पैर वा शरीर दर्याई घोड़े का होता है| कहते हैं की मनुष्य की मृतु हो जाते के पश्चात जब वह इनके दरबार में उपस्तिथ होता है तो वहाँ पर एक दिव्यास पंख व उस मनुष्य के दिल के भार के बीच तुलना की जाती है, पंख व दिल के भार के बराबर होने पर उस व्यक्ति को बाइज्ज़त छोड़ दिया जाता है परन्तु जिसके दिल का भार ज्यादा होता है उसका दिल अम्मिट खा जाता है तथा वह व्यक्ति हमेशा के लिए सजा भोगता है| यही कारण है की इनसे लोग इतने डरते क्यूं है|

तो दोस्तों ये थे 5 भगवानो के बारे में सबसे रोचक बातें, आपको ये जानकारी कैसी लगी हमें कमेंट करके ज़रूर बताये, और हम आपसे मिलेंगे अगली विडियो में, तब तक के लिए नमस्कार….

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