अमजद खान का जन्म 12, नवम्बर 1940 को पेशावर में एक पश्तून परिवार में हुआ था जो अब पाकिस्तान में है| इनके पिताजी का नाम ज़कारिया खान जिन्हें जयंत के नाम से भी जाना जाता है और माता जी का नाम Quamran Sultan (Qamar Khan) था| इनके पिताजी भी जाने माने अभिनेता थे|

अमजद खान के दो भाई थे जिनका नाम इम्तियाज खान और इनायत खान हैं। इनकी शुरूआती शिक्षा बांद्रा के सेंट एंड्रयूज हाई स्कूल में हुई थी। उच्च शिक्षा के लिया ये आर डी नेशनल कॉलेज में  गये, जहां इन्होने महासचिव का पद संभाला और साथ ही सर्वोच्च निर्वाचित छात्र निकाय के प्रतिनिधि भी रहे|

फ़िल्मी परदे पर आने से पहले कई साल अमजद खान ने थिएटर में काम किया| कई साल थिएटर में काम करने के बाद सन 1951 में इन्होने अपनी पहली फिल्म नाजनीन के साथ सिनेमा जगत में कदम रखा, इस समय इनकी आयु महज 11 वर्ष कि थी|फिर 17 साल कि उम्र में इन्होने अपनी दूसरी फिल्म “अब दिल्ली दूर नहीं” कि थी, ये फिल्म 1957 में आई थी जिसे राज कपूर ने बनाया था | इसके बाद ये कई फिल्मो में अपने पिता के साथ भी अभिनय करते रहे| उस समय फ़िल्मी जगत में इनके पिता एक जाने माने अभिनेता हुआ करते थे| अभिनय शुरू करने से पहले इनके पिता राजस्थान के अलवर जिले में पुलिस कि नौकरी किया करते थे| जब इन्होने फिल्मो में अभिनय शुरू किया तो इनका नाम पद गया जयंत| अमजद खान कि सुपरहिट फिल्म शोले कि रिलीज़ से दो महीने पहले ही इनके पिताजी कि मृत्यु हो गई थी|

इसके बाद इन्होने के. आसिफ साहब के साथ फिल्म लव एंड गॉड में सह निर्देशक के रूप में काम करने लगे और इसी फिल्म में उन्होंने एक छोटा सा किरदार भी निभाया| लेकिन ये फिल्म उस समय अधूरी ही रह गयी क्योंकि के. आसिफ साहब कि आकस्मिक मृत्यु हो गई थी| और 16 साल बाद 1946 में ये फिल्म रिलीज़ हुई थी| इस बीच अमजद खान ने कई फिल्मो में छोटे मोटे रोल किए लेकिन 33 साल कि उम्र में अमजद खान ने एक बड़ी फिल्म कि जिसका नाम था हिन्दुस्तान कि कसम, ये साल था 1973|

अमजद खान का ऐतिहासिक रोल

इसके बाद इनकी जिंदगी में आया वो साल जो इन्हें एक ऐतिहासिक रोल दिला गया वो साल था 1975| जब सलीम खान ने इन्हें एक नाटक में काम करते देखा तो समझ गये कि ये अभिनेता शोले फिल्म का गब्बर बन सकता है| लेकिन गब्बर के लिए सिप्पी साहब कि पहली पसंद अमजद खान नहीं बल्कि डैनी डेन्जोंगपा थे| जब डैनी डेन्जोंगपा ने इस फिल्म के लिए मन कर दिया था तब ये रोल अमजद खान को दिया गया था| शुरुआत में लोगो ने इनकी आवाज का मजाक उड़ाया था, शोले फिल्म कि शूटिंग के समय ही लोग इनका मजाक बनाने लग गये थे| लोग कहते थे कि इसकी आवाज में दम नहीं है ये क्या टक्कर देगा जब सामने अमिताभ, धर्मेन्द्र और संजीव कुमार है| us वक़्त ये भी कहा जा रहा था कि शायद अमजद खान को इस फिल्म से निकाल दे, पर ऐसा नहीं हुआ| अमजद खान खुद भी अपनी डायलॉग डिलीवरी और आवाज से परेशान होने लगे| इसमें एक किस्सा ये भी है कि एक बार अमजद साहब अपनी किस्मत पता करने के लिए एक ज्योतिष के पास पहुंचे, और ज्योतिष ने अपने तोते से एक कार्ड निकलवाया और उस कार्ड पर लिखा था कि तुम इतिहास में अपना नाम दर्ज करोगे, और हुआ भी यही शोले का डाकू गब्बर सिंह एक अलग ही विलन बनके सामने आया जो मजाक भी करता था और गुस्सा भी| इस सफलता के बाद भी अमजद खान अपनी आवाज से खुश नहीं थे, लेकिन एक घटना ने उनकी ये सोच बदल दी| हुआ ये था कि एक बार फिल्म कि शूटिंग के लिए अमजद खान को एक गाँव में जाना पड़ा था| तो जब ये चाय पीने के लिए एक ढाबे पर रुके तो लोग एक रडियो पर इनके डायलॉग सुन कर दोहरा रहे थे| ये पहली बार हुआ था कि किसी फिल्म के डायलॉगस भी अलग से उपलब्ध कराये गये है| ये देख कर उनक आँखों से आंसू बहने लगे| अप को ये जानकर हैरानी होगी कि शुरुआत में शोले फिल्म चली नहीं थी, लोग सोच रहे थे कि ये फ्लॉप हो जाएगी| पर कुछ हफ्तों में ये फिल सुपरहिट साबित हुई और हर तरफ से लोग सिर्फ गब्बर सिंह का ही नाम पुकारने लगे| अमजद खान को उनके डायलॉग के लिए एक बिस्कुट कंपनी ने एक विज्ञापन करने का मौका दिया, और ये पहली बार था कि किसी खलनायक को एक मशहूर ब्रैंड का विज्ञापन करना था|

अमजद खान का जीवन परिचय

1975 में गब्बर का धमाकेदार रोल करने के बाद अमजद खान जब “द ग्रेट गैंगस्टर” कि शूटिंग कि पर जा रहे थे तो उनकी गाडी का एक्सीडेंट हो जाता है, जिसमे इन्हें बहुत छोटे आई थी| इनकी पसलिय टूट गयी थी और फेफड़ो को भी नुक्सान पंहुचा था| अमजद खान के अनुसार ये एक्सीडेंट भगवान् ने उनका वादा तोड़ने कि वजह से कराया था| जब शोले फिल्म रिलीज़ हुई थी तो उन्होंने भगवान् से माँगा था कि अगर ये फिल्म सुपरहिट हो गई तो मई कभी भी फिल्मो में काम नहीं करूँगा| लेकिन अपना वादा तोड़ते हुए उन्होंने इसके बाद भी फिल्मो में काम करना बंद नहीं किया|

इस के कारन इन्हें स्टेरॉयड वाली दवाइया लेनी पड़ती थी जिससे इनका वजन बढ़ता चला गया| लेकिन इसके बावजूद भी अमजद खान ने फिल्मो में काम करना बंद नहीं किया| 70, 80 के दशक तक अमजद खान लगभग 130 फिल्मो में काम कर चुके थे| इन्होने अपने सबसे आचे दोस्त अमिताभ बच्चन के साथ कई फिल्मे कि, जिनमे ये कभी उनके दोस्त बनते, कभी दुश्मन तो कभी उनके पिता का भी किरदार निभाते|

फिल्मो में अभिनय करने के बाद इन्होने कई फिल्मो का निर्माण भी किया, सन 1983 में इन्होने पहली फिल्म बनायीं चोर पुलिस, ये फिल्म नहीं चल पाई| लेकिन इसके बाद 1985 में इन्होने एक और फिल्म बनायीं जिसका नाम था “अमीर आदमी गरीब आदमी” इस फिल्म को कई सालो तक सेंसर बोर्ड ने अटकाए रखा| लेकिन जब ये फिल्म रिलीज़ हुई तो ये एक ब्लॉकबस्टर साबित हुई| अमजद खान रुपहले पर्दे पर जितने नकारात्मक रोल करते थे उसका उल्ट असल जिंदगी में वो लोगो कि मदद के लिए भी जाने जाते है| इस बात का एक उदहारण तबका है जब ये actors guild association के प्रेसिडेंट बने| फिल्मो में काम करते करते डिंपल कपाडिया ने खुद को फ़िल्मी जगत से अलग कर लिया था जिसके कारन डायरेक्टर और प्रोडूसरस ने उन्हें बैन कर दिया था, लेकिन अमजद खान ने उनकी मदद कि और डिंपल कपाडिया को वापस फ़िल्मी दुनिया में लेकर आये| अमजद खान यारो के यार थे जब director के पास पैसा नहीं होता था तो अमजद उनकी मदद कर दिया करते थे और कभी कभी वो अपनी फीस भी नहीं लिया करते थे|

अमजद खान फैमिली

अगर हम अमजद खान कि पारिवारिक जिंदगी कि बात करे तो इनकी शादी सन 1972 में शैला खान से हुई थी|अमजद साहब के दो बेटे है शादाब और सीमाब कहाँ और एक बेटी है अहलम खान|

अमजद खान को चाय पीने का भी बहुत शौक था वो एक घंटे में 10-10 कप चाय पी जाते थे| अमजद खान हमेशा अपने चुटकलों से सभी को हसाते रहते थे

लेकिन 27 जुलाई 1992, को गब्बर कि दमदार आवाज के लिए मशहूर इस अभिनेता ने आखिरकार दिल का दौरा पड़ने से दम तौड़ दिया| लेकिन इनके जाने के बाद भी सन 1996 तक इनकी फिल्मे रिलीज़ होती रही|

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