नमक्सर दोस्तों और स्वागत है आपका काम की बात में और इस पोस्ट में हम आपको बताएँगे ममता बनर्जी की जन्म कुंडली बारे में

तो चलिए शुरू करते है |

ममता बैनर्जी का जन्म 5 जनवरी 1955 को पश्चिम बंगाल कलकत्ता में एक बंगाली परिवार में हुआ था| उनके पिता का नाम प्रोमिलेश्वर बनर्जी और माता का नाम गायत्री देवी था जो की एक स्कूल में शिक्षिका थीं | सन 1970 में, ममता बैनर्जी ने देशबंधु शिशुपाल स्कूल से अपनी उच्च माध्यमिक बोर्ड की शिक्षा पूरी की| ममता बैनर्जी 15 वर्ष की आयु में ही राजनीती से जुड़ गयी|

जब वह 17 साल की थी तो उनके पिता का देहांत हो गया | शुरूआती शिक्षा के बाद उन्होंने जोगमाया देवी कॉलेज से इतिहास में स्नातक किया और फिर बाद में कलकत्ता विश्वविद्यालय से इस्लामिक इतिहास में मास्टर डिग्री प्राप्त की। इसके बाद श्री शिक्षायतन कॉलेज से शिक्षा की डिग्री प्राप्त करके जोगेश चंद्र चौधरी लॉ कॉलेज, कोलकाता से कानून की डिग्री प्राप्त की।

1970 के दशक में वे कांग्रेस पार्टी से जुड़ गयी और जोगमाया देवी कॉलेज में पढ़ते समय उन्होंने कांग्रेस पार्टी के छत्र परिषद यूनियनों के छात्रसंघ अध्यक्ष की स्थापना की, जिसने भारतीय जनता पार्टी के सोशल मीडिया यूनिटी सेंटर के डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स यूनियन को हराया। वह पश्चिम बंगाल में कांग्रेस पार्टी में और अन्य स्थानीय राजनीतिक संगठनों में विभिन्न पदों पर रहीं।

1976 में 21 साल की उम्र में ममता बैनर्जी पश्चिम बंगाल में महिला कांग्रेस की महासचिव बनी और 1980 तक बनी रही । और इसके बाद 1984 के आम चुनावो में ममता बैनर्जी ने माकपा के नेता सोमनाथ चटर्जी को हराकर भारत की सबसे कम उम्र वाली सांसद बनी और उन्होंने को अखिल भारतीय युवा कांग्रेस की महासचिव के पद पर भी कार्य किया।

इसके बाद कांग्रेस पार्टी में 1985 से 1989 तक अलग अलग कार्यकारी समितिओ के पदों पर रहने बाद वर्ष 1989 के चुनावों में हार के बाद अपनी सीट गँवा दी| लेकिन वर्ष 1991 के आम चुनाव में ममता बनर्जी ने ये सीट फिर से जीती और तत्कालीन प्रधान मंत्री पी वी नरसिम्हा राव की सरकार में वे केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री, युवा मामले एवं खेल विभाग तथा महिला एवं बाल विकास विभाग की केंद्रीय राज्य मंत्री बनीं। और ये सीट उन्होंने वर्ष 1996, 1998, 1999, 2004 और 2009 के आम चुनाव में अपनी सीट बरकरार रखी।

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1993 में अपने विभागों से छुट्टी दे दी गई। क्युकी देश में खेलों में सुधारो के लिए उनके प्रस्तावो को लेकर सरकार ने कोई उत्साह नहीं दिखाया और इसीलिए उन्होंने , कोलकाता में ब्रिगेड परेड ग्राउंड में एक रैली भी की और अपना इस्तीफा देने की धमकी दी|

इसके बाद अप्रैल 1996 में, ममता बैनर्जी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस पश्चिम बंगाल में कम्युनिस्ट पार्टी की तरह ही व्यवहार कर रही है जो बंगाल के लिए उचित नहीं । इसीलिए उन्होंने कांग्रेस पार्टी से अलग होकर वर्ष 1997 में पश्चिम बंगाल में अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस पार्टी की स्थापना की|

11 दिसंबर 1998 को, उन्होंने विवादास्पद रूप से समाजवादी पार्टी के सांसद, दरोगा प्रसाद सरोज को कॉलर से पकड़ के लोकसभा वेल से बाहर खींच लिया क्युकी प्रसाद सरोज महिला आरक्षण विधेयक का विरोध कर रहे थे |

इसके बाद वर्ष 1999 में, ममता बनर्जी भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली NDA (एनडीए) सरकार में शामिल हो गयी और उन्हें रेलवे मंत्री का कार्यभार सौंपा गया। अपने वर्ष 2000 से 2001 के कार्यकाल में उन्होंने 19 नयी ट्रेन चलायी |

इसके बाद 2001 में एक भारतीय न्यूज़ Magazine तहलका के स्टिंग Operation West End, के सामने आने के बाद ममता बनर्जी ने एनडीए मंत्रिमंडल छोड़ दिया और पश्चिम बंगाल में 2001 में होने वाले चुनावों के लिए कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गई |यदि आप ऑपरेशन वेस्ट एंड के बारे में जानना चाहते है तो हमारी वेबसाइट काम की बात .इन पर जाए लिंक आपको डिस्क्रिप्शन में मिल जाएगा |

लेकिन 2004 में ममता बैनर्जी वापस एनडीए सरकार में आ गई, और इस बार इन्हें कोल और माइन्स का विभाग दिया गया|20 मई 2004 के भारतीय आम चुनावों में ममता बैनर्जी पश्चिम बंगाल से संसदीय सीट जीतने वाली एकमात्र तृणमूल कांग्रेस की सदस्य थी।इसके बाद अक्टूबर 2005 में, ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के बुद्धदेव भट्टाचार्य सरकार की औद्योगिक विकास नीति के के खिलाफ स्थानीय किसानों की भूमि अधिग्रहण के खिलाफ विरोध जताया।

इसके बाद ममता बैनर्जी की त्रिमुल कांग्रेस पार्टी ने कोलकाता नगर निगम में सत्ता खो दी और वर्ष 2006 में विधानसभा चुनावों में भी इनकी हार हुई |

वर्ष 2009 में आम चुनावो से पहले, ममता बनर्जी ने कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए गठबंधन के साथ हाथ मिला लिया | इस गठबंधन के द्वारा ममता बैनर्जी को 26 सीटों पर जीत हासिल की और वह उन्हें कांग्रेस सरकार में भी रेल मंत्री बनाया गया |और फिर इसके बाद वर्ष 2010 में पश्चिम बंगाल की नगरपालिका के चुनाव में, तृणमूल कांग्रेस ने कोलकाता नगर निगम में 62 सीटों के अंतर से जीत हासिल की।

और 20 मई 2011 को, ममता बनर्जी ने 34 साल के कम्युनिस्ट पार्टी के शासन को खत्म करके 184 सीटो के साथ पूर्ण बहुमत से अपनी सरकार बनाकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बनी | सत्ता हाथ में आने के बाद बंगाल के उन्होंने कई महत्वपूर्ण कार्य किये |

इसके बाद 17 अक्टूबर 2012 को एक बयान में, ममता बनर्जी ने देश में बलात्कारो की बढ़ती घटनाओं के लिए “पुरुषों और महिलाओं के बीच कोई बंदिश न रहना ” को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि “पहले पुरुष और महिलाएं अगर हाथ पकड़ कर चलते थे , तो उनके माता-पिता के द्वारा पकड़े जाने पर उन्हें धमकाया जाता था, लेकिन अब ऐसा नहीं होता है और इसीलिए भारत में बलात्कार की घटनाएं बढ़ रही है ” इन बयानों के लिए राष्ट्रीय मीडिया में उनकी आलोचना भी की गई थी|

इसके बाद साल 2013 में एक मामला सामने आया जिसमे शारदा कंपनी ने लोगों से 34 गुना फायदा करने के नाम पर लोगो से पैसा निवेश करवाया और पैसे ठगने के लिए लोगों से लुभावने वादे किए थे, लेकिन लोगो का पैसा वापस नहीं दिया गया । और जब निवेशकों ने कंपनी के एजेंटो से पैसा मांगा तो कई एंजेटों ने जान दे दी। ये मामला ना केवल बंगाल बल्कि असम, ओडिशा तक पहुंच गया था क्योंकि इन कंपनियों ने यहां भी चिट फंड के नाम पर लोगों को ठगा था। इस चिटफंड घोटाले के सामने आने के बाद ममता बैनर्जी की सरकार के कई बड़े नेताओं का नाम इस घोटाले के साथ जुड़ा|

इस घोटाले में तक़रीबन 17000 करोड़ की हेरा- फेरी की गई थी| शारदा ग्रुप ने महज 4 साल में पश्चिम बंगाल के अलावा झारखंड, ओडिसा और नार्थ ईस्ट के राज्यों में लोगो से पैसे ठगने के लिए अपने 300 ऑफिस खोले थे|

इस मामले में कांग्रेस सरकार में पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम की पत्नी नलिनी के खिलाफ भी आरोप पत्र दाखिल किया गया था। उन पर आरोप है कि उन्होंने शारदा ग्रुप के प्रमुख सुदीप्तो सेन के साथ मिलकर साल 2010 से 2012 के बीच 1.4 करोड़ रुपये लिए थे।

इस चिटफंड घोटाले की जांच करने वाली पश्चिम बंगाल पुलिस की SIT टीम का नेतृत्व 2013 में राजीव कुमार ने किया था। और रिपोर्ट्स के मुताबिक सीबीआई सूत्रों का कहना है कि पुलिस की एसआईटी जांच के दौरान कुछ खास लोगों को बचाने के लिए घोटालों से जुड़े कुछ अहम सबूतों के साथ या तो छेड़छाड़ हुई थी या फिर उन्हें गायब कर दिया गया था।

साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश जारी करते हुए सीबीआई से इस मामले की जांच करने के लिए कहा |

और इसी सिलसिले में जब सीबीआई ने राजीव कुमार से पूछताछ करनी चाही तो ममता बैनर्जी ने CBI पर बंगाल आने पर बैन लगा दिया | वही दूसरी ओर कोलकाता पुलिस ने सीबीआई ऑफिस को अपने कब्जे में ले लिया है. साथ ही पुलिस ने सीबीआई के पांच अधिकारियों को गिरफ्तार भी कर लिया | इसी के साथ रोज वैली चिटफंड घोटाला भी अ=सामने आया जिसमे करीब 1 लाख को करोड़ों का चूना लगाया गया । इसमें आशीर्वाद और होलिडे मेंबरशिप स्कीम के नाम पर ग्रुप ने लोगों को ज्यादा रिटर्न देने का वादा किया| इसमें भी कई बड़े नेताओं का नाम भी शामिल होने की बात कही गयी है |

जिसमे से ममता सरकार के कैबिनेट में एक पूर्व मंत्री मदन मित्र और एक एक पार्टी सांसद, कुणाल घोष को जेल भी हुयी थी और ममता बैनर्जी पर ये भी आरोप लगाये गए की उन्होंने अपने मंत्रियो की कालाबाजारी छुपाने की भी कोशिश की |

इसके बाद पश्चिम बंगाल में 2016 के विधानसभा चुनाव हुए जिसमे ममता बैनर्जी ने 293 सीटो में से 211 सीटे जीतकर फिर एक बार बंगाल में अपनी सरकार बनाई |

ममता बनर्जी धर्म मानती है पर कोन सा ??

आईये अब बात करते है उनकी हिन्दू विरोधी सोच की और उन पर लगाये गए आरोपों की |

एक वायरल मेसेज में कहा गया है की ममता बैनर्जी ने इस्लाम धर्म कबूल कर लिया था और उनका नाम मुमताज़ मासामा ख़ातून है | लेकिन हमे इसका कोई भी प्रमाण नहीं मिला है | लेकिन 2012 में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने घोषणा की थी कि बंगाल में इमाम और मुअज्जिन को 2,500 से लेकर 30,000 रुपये का मासिक वेतन दिया जाएगा. इस फैसले ने विवाद खड़ा कर दिया था क्योंकि हिंदू पंडित भी इसी तरह के लाभ की मांग कर रहे थे और बीजेपी ने इसको लेकर सरकार की आलोचना भी की थी|

बंगाल से सैकड़ों गाँवों से हिंदुओं का पलायन हो चुका है भाजपा के नेता सुब्रत चटर्जी ने बताया की पंचायत चुनाव में भाजपा के 80 कार्यकर्ताओं की हत्या हुई | और इन सब हत्यो का आरोप ममता बैनर्जी की सरकार TMC के कार्यकर्ताओ पर है और वही लोकसभा चुनाव के बाद अभी तक नौ से अधिक लोग मारे गए है| इसके अलावा तृणमूल कांग्रेस के नेताओं के दबाव में 15000 भाजपा कार्यकर्ता आज भी झूठे मामलों में जेल में बंद हैं |

ममता बनर्जी पर आरोप है उन्होंने की वोट बैंक की राजनीति के कारण बंगाल के कई इलाके मुस्लिम बहुल हो चुके हैं और हिंदुओं का इन इलाकों में जीना भी दूभर हो गया है। राज्य में अवैध रूप से रहने वाले बांग्लादेशी घुसपैठियों की संख्या 3 करोड़ से भी ज्यादा हो चुकी है। उन्हें सियासत के चक्कर में देश में वोटर कार्ड, राशन कार्ड जैसी सुविधाएं मुहैया करवा दी जाती हैं और बांग्लादेश के रास्ते पहले इन्हें पश्चिम बंगाल में प्रवेश दिलाया जाता है। फिर उनका राशन कार्ड, आधार कार्ड, वोटर कार्ड बनवा जम्मू से केरल तक पहुंचा दिया जाता है।

अमेरिकी पत्रकार जेनेट लेवी ने अपने एक लेख The Muslim Takeover of West Bengal में खुलासा किया हैं कि पश्चिम बंगाल जल्द ही एक इस्लामिक देश बन जाएगा! और कश्मीर के बाद पश्चिम बंगाल में गृहयुद्ध होगा बड़े पैमाने पर हिंदुओं का संघर किया जाएगा और मुगलिस्तान की मांग की जाएगी। उन्होंने यह भी दावा किया है कि यह सब ममता बनर्जी की सहमति से होगा | वो आर्टिकल में बताते है की 2013 में पहली बार बंगाल के कुछ कट्टरपंथी मौलानाओं ने अलग ‘मुगलिस्तान’ की मांग शुरू की। इसी साल बंगाल में हुए दंगों में सैकड़ों हिंदुओं के घर और दुकानें लूट लिए गए और कई मंदिरों को भी तोड़ दिया गया।

इन दंगों में सरकार द्वारा पुलिस को आदेश दिये गए कि वो दंगाइयों के खिलाफ कुछ ना करें। उन्होंने तथ्य के साथ दावा किया है कि स्वतंत्रता के समय पूर्वी बंगाल में हिंदुओं की आबादी 30 प्रतिशत थी, लेकिन यह घटकर अब महज 8 प्रतिशत हो गई है। जबकि पश्चिम बंगाल में मुसलमानों की आबादी 27 प्रतिशत से अधिक हो चुकी है। और कई जिलों में तो यह आबादी 63 प्रतिशत तक है। उन्होंने बताया की मुस्लिम संगठित होकर रहते हैं और 27 फीसदी आबादी होते ही इस्लामिक शरिया कानून की मांग करते हुए अलग देश बनाने तक की मांग करने लगते हैं।

जेनेट लेवी का पूरा आर्टिकल आप काम की बात .इन पर पढ़ सकते है वर्ष 2017 में जब लेक टाउन रामनवमी पूजा समिति’ ने 22 मार्च को रामनवमी पूजा की अनुमति के लिए आवेदन दिया तो राज्य सरकार के दबाव में नगरपालिका ने पूजा की अनुमति नहीं दी थी। लेकिन जब समिति ने कानून का दरवाजा खटखटाया तो कलकत्ता हाईकोर्ट ने पूजा शुरू करने की अनुमति देने का आदेश दिया।

2019 के चुनाव प्रचार के दौरान ऐसी कई घटनाएं हुई जिसमे ममता बैनर्जी जय श्री राम नारे को सुनकर चिढ गयी बंगाल के बैराख्प्पुर में ममता बनर्जी के सामने कुछ लोगो ने जय श्री राम के नारे लगाये इस से ममता बैनर्जी भड़क गयी और 10 लोगो को जेल में डलवा दिया | दूसरी जगह 3 लोगो को भी जय श्री राम के नारे लगाने के लिए गिरफ्तार किया गया | इसीलिए बीजेपी ने 10 लाख जय श्री राम लिखे पोस्ट कार्ड ममता बनर्जी को भेजने का फैसला लिया |

भगवान राम के प्रति ममता बनर्जी की घृणा का अंदाजा इस बात से भी जाहिर होती है ,की जब उन्होंने तीसरी क्लास में पढ़ाई जाने वाली किताब ‘अमादेर पोरिबेस’ (हमारा परिवेश) ‘रामधनु’ (इंद्रधनुष) का नाम बदल कर ‘रंगधनु’ कर दिया गया। हिंदू धर्म में दशहरे पर शस्त्र पूजा की परंपरा रही है। सितंबर, 2017 में ममता सरकार ने आदेश दिया कि दशहरा के दिन पश्चिम बंगाल में किसी को भी हथियार के साथ जुलूस निकालने की इजाजत नहीं दी जाएगी। हालांकि कोर्ट के दखल के बाद ममता बनर्जी को अपना फैसला वापस लेना पड़ा | 11 अप्रैल, 2017 को पश्चिम बंगाल में बीरभूम जिले के सिवड़ी में हनुमान जयंती के जुलूस पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया।

बीरभूम जिले का कांगलापहाड़ी गांव में 300 घर हिंदुओं के हैं और 25 परिवार मुसलमानों के हैं, लेकिन इस गांव में चार साल से दुर्गा पूजा पर पाबंदी है। एक तरफ बंगाल के पुस्तकालयों में नबी दिवस और ईद मनाना अनिवार्य किया गया तो एक सरकारी स्कूल में कई दशकों से चली आ रही सरस्वती पूजा ही बैन कर दी गई। यंहा पिछले 65 साल से सरस्वती पूजा मनायी जा रही थी, लेकिन मुसलमानों को खुश करने के लिए ममता सरकार ने इसी साल फरवरी 2019 में रोक लगा दी।
प. बंगाल के 38,000 गांवों में 8000 गांव अब इस स्थिति में हैं कि वहां एक भी हिन्दू नहीं रहता|

शायद इन्ही कारणों से उन्हें मुस्लिम बताया गया | तो दोस्तों आपको क्या लगता है क्या ममता बैनर्जी हिन्दुओ से नफरत करती है ??? और इसिलए बंगाल में हिन्दुओ पर अत्याचार हो रहे है ?

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