नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका काम की बात में| इस विडियो में मैं आपको बताऊंगा ऑपरेशन मिडनाइट की इनसाइड स्टोरी, कैसे NIA, ED, IB ने भारत के इतिहास की सबसे बड़ी छापेमारी को अंजाम दिया गया| तो आप हमारे चैनल को सब्सक्राइब कर ले, जिन्होंने किया हुआ है, एक बार unsubscribe करके दुबारा सब्सक्राइब कर ले और विडियो को अभी लाइक कर दे|
“ऑपरेशन मिडनाइट” की स्टोरी क्या है? भारतीय इतिहास की सबसे बड़ी छापेमारी
तो शुरुआत होती है| 22, सितंबर 2022, समय 1 पूर्वाह्न मध्यरात्रि, पीएफआई के सदस्य अपने घर में सो रहे थे, इस बात से अनजान की घर में उनकी ये आखिरी रात है। सीएपीएफ यानी Central Armed Police Forces और राज्य पुलिस के साथ NIA के लगभग 200 अधिकारी अपने घर के बाहर खड़े होकर कमांड सेंटर के आदेश का इंतजार कर रहे थे।
रेड का नियोजित समय सुबह 4 बजे था जब नींद सबसे गहरी होती है । दिल्ली में बैठे एक शख्स सब कोऑर्डिनेट कर रहे थे। अपराह्न 3:30 बजे, नियोजित समय से आधा घंटा पहले उन्होंने कहा “जाओ”| आजाद मैदान से शाहीन बाग तक, केरल हत्याकांड से लेकर राजस्थान और यूपी दंगों तक, एक नाम जो लगातार खबरों में आ रहा था, वो था पीएफआई।
आईबी ने MHA यानी ministry of home affairs से कहा “SIMI संगठन PFI के रूप में वापस आ गया है”| सिमी एक MSLM चरमपंथी संगठन था, सिमी 90 के दशक के अंत में और 2000 के दशक की शुरुआत में सक्रिय कई आतंकी घटनाओं के लिए जिम्मेदार था। 2001 में इसे वाजपेयी सरकार द्वारा और 2008 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रतिबंधित कर दिया गया था । लेकिन इसके साथ ही PFI बो बना दिया गया था| PFI का गठन 2006 में हुआ था और भारत में बढ़ता रहा।
2019 में, मोदी सरकार CAA बिल लेकर आये और PFI को मुस्लिमो का ब्रेनवॉश करने लगे और उन्हें भड़काने लगे कि BJP और RSS उन्हें देश से बाहर निकालना चाहते हैं।
ऑपरेशन मिडनाइट से 5 साल पहले मोदी सरकार को आईबी से एक इनपुट मिलता है कि PFI गजवा ए हिंद के लिए काम कर रहा है । जैसे
- PFI, RSS का डर दिखाकर मुसलमानों को और कट्टर बना रहा है, उन्हें भड़का रहा है|
- RSS को SC/ST/OBC विरोधी कहकर हिंदुओं को बांट रहा है।
ये मामला बहोत संवेदनशील था। इसीलिए इसके बाद मोदी जी और मोहन भागवत जी के बीच एक बैठक होती है। और उस बैठक में तय हुआ कि आरएसएस और बीजेपी दोनों ही PFI की योजना को फेल करने के लिए मुसलमानों, एससी, एसटी, ओबीसी तक पहुंचेंगे। एक संयुक्त दुश्मन हमेशा शक्तिशाली होता है, हमला करने से पहले उन्हें कमजोर करना जरूरी होता है| पीएफआई का अध्यक्ष अशरफ समुदाय से हैं । अशरफ और पसमांदा के बीच पहले सही दुश्मनी चली हुई है| मोदी जी पसमांदा समुदाय के बीच पहुंचे और सभी मुसलमानों के पूर्ण और एकमात्र नेता बनने की उनकी योजना को कमजोर कर दिया। ये सब चीज़े करने में उन्हें सालो लगे|
ऑपरेशन मिडनाइट से 6 महीने पहले
MoHA में एक उच्च स्तरीय बैठक का आयोजन किया गया। जिसमे अमित शाह, अजीत डोभाल, एनआईए, आईबी अधिकारी शामिल थे। और उस बैठक में अमित शाह जी ने एक सवाल एक सवाल पूछा
क्या हम PFI पर बैन लगा सकते हैं ?
आधे अधिकारीओ ने “हां” कहा और आधे अधिकारीओ ने इसे मना कर दिया|
अमित शाह जी ने डोभाल जी से पूछा कि वह क्या सोचते हैं ?
डोभाल जी ने कहा- मुझे कुछ समय चाहिए ।
डोबाल जी ने आईबी और ईडी की एक संयुक्त टीम बनाई ।
आईबी को पीएफआई के काम करने के तरीके में दरार डालने के लिए कहा गया और ईडी को उनकी फंडिंग में सेंध लगाने के लिए कहा गया। दोनों टीमो ने इस पर काम करना शुरू किया और बहुत सारी जानकारी एकत्र की ।
ऑपरेशन मिडनाइट से 2 महीने पहले
NIA ने बिहार पुलिस की मदद से बिहार में पीएफआई सेल को खंगाला और एक दस्तावेज बरामद किया। हालांकि वे सभी पीएफआई गतिविधियों के बारे में जानते थे लेकिन इस दस्तावेज़ ने सार्वजनिक रूप से पीएफआई की योजना को उजागर कर दिया।
ऑपरेशन मिडनाइट से 53 दिन पहले
अजीत डोभाल एक बैठक में मुस्लिम धर्म गुरुओं से मिले जिसमे मुस्लिम धर्म गुरु द्वारा एक प्रस्ताव पारित किया गया था कि सभी राष्ट्रविरोधी और विभाजनकारी संगठनों को प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। पीएफआई को पता था कि उन्हें कभी भी प्रतिबंधित किया जा सकता है इसलिए उन्होंने पहले ही प्लान बी बना लिया था।
उसने कई अन्य संगठन SDPI, कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया, NWF, AIIC, ऑल इंडिया लीगल काउंसिल, HRDF, SDTU, रिहैब इंडिया फाउंडेशन बनाया ताकि अगर सरकार पीएफआई पर प्रतिबंध लगाए, तो वे दूसरे नाम से गतिविधियां जारी रख सकें ।
ऑपरेशन मिडनाइट से 1 महीने पहले
इसके बाद अजीत जी ने अपना प्लान अमित शाह के सामने पेश किया| और इस प्लान का नाम था “ऑपरेशन मिडनाइट”
जिसकी 2 महत्वपूर्ण बाते थी की पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने के बजाय पहले इसे नष्ट करना और इसके लिए भारतीय इतिहास की सबसे बड़ी छापेमारी। और दूसरी सभी पीएफआई प्रमुख निर्णय निर्माताओं की एक ही समय में गिरफ्तारी ।
ऑपरेशन मिडनाइट से 20 दिन पहले
आईएनएस विक्रांत के उद्घाटन के लिए मोदी कोच्चि गए थे,डोभाल भी उनके साथ थे ।
वहां उन्होंने पुलिस डीजीपी से बात की और उन्हें योजना के बारे में बताया ।
वहां से वे मुंबई गए और गवर्नर हाउस में रहे, एनआईए अधिकारियों से मिले और उन्हें योजना के बारे में बताया ।
ऑपरेशन मिडनाइट से 3 दिन पहले
डोभाल और अमित शाह की उपस्थिति में NIA, IB और ED के बीच एक संयुक्त बैठक आयोजित की गई जहां डोभाल ने पूरी योजना पेश की ।
की एनआईए और ईडी की संयुक्त टीम 22 सितंबर की आधी रात को पीएफआई के 93 ठिकानों पर छापेमारी करके, सभी को एक साथ गिरफ्तार करेगी ।
यदि वे उन्हें एक साथ गिरफ्तार नहीं करते तो पीएफआई की दूसरी कमान के नेता भारत में अशांति पैदा करेंगे और सबूत नष्ट करेंगे, इसलिए उन सभी को एक साथ गिरफ्तार करना आवश्यक है ।
ऑपरेशन मिडनाइट से 1 दिन पहले
एक टीम जिसमे 200 NIA अधिकारी, ईडी अधिकारी, 4 आईजी, 1 एडीजी, 16 एसपी, 1000 राज्य पुलिस
समन्वय के लिए 6 कंट्रोल सेंटर और नई दिल्ली में गृह मंत्रालय को कमांड सेंटर बनाया गया। वहीं से अजीत डोभाल ने सबका समन्वयन किया।
ऑपरेशन मिडनाइट
पीएफआई को ऑपरेशन की जानकारी नहीं थी। सब सोने के लिए घर चले गए। 1 बजे मध्यरात्रि को ऑपरेशन शुरू हुआ। आईबी के इनपुट के आधार पर 11 राज्यों के 93 स्थानों की पहचान की गई । NIA और ED की टीम उनके घर पहुंची और आदेशों का इंतजार करने लगी। पीएफआई के समर्थकों को ऑपरेशन स्थल तक पहुंचने में किसी भी तरह की मदद को रोकने के लिए पुलिस बल को दूसरी ढाल के रूप में पहले ही तैयार कर रखा था| समय सुबह 4 बजे निर्धारित किया गया था लेकिन समय से आधा घंटा पहले डोभाल ने दिल्ली से कहा- Go और सारी टीम ने एकसाथ छापा मारा, वो उनके घर में घुस गए और उन्हें सोचने तक का मोका नहीं दिया और तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया| और सभी जरूरी सामान को भी जब्त कर लिया । जैसे ही छापेमारी की खबर फैली, पीएफआई के समर्थकों ने पहुंचना शुरू कर दिया, लेकिन पहले से तैनात पुलिस ने उन्हें रोक दिया ।
सुबह 5 बजे तक छापेमारी खत्म हो गई थी। उनके अध्यक्ष, सचिव और प्रदेश प्रभारी समेत 106 पीएफआई नेता गिरफ्तार कर लिए गए । 150+ मोबाइल फोन, 50+ लैपटॉप, विजन दस्तावेज, नामांकन प्रपत्र, बैंक दस्तावेज़, ये सारा समान NIA और ED की टीम ने जब्त कर लिया। पीएफआई ने धर्म का कार्ड खेलने की कोशिश की लेकिन मुसलमानों से समर्थन नहीं मिला। किसी मुस्लिम धर्म गुरु ने उनका समर्थन नहीं किया। भारत विरोधी सबसे शक्तिशाली संगठन एक रात में नष्ट हो गया।
लेखक – अज्ञात
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