Corona की इस संकट की घडी में जन्हा हमारे पास नकारात्मक खबरे आ रही है उसी से हमारे दिमाग में भी हर समय Negative Thoughts आ रहे हैं,
दोस्तों मैं हूँ आपका होस्ट एंड दोस्त आनंद और इस पोस्ट में हम आपको बताएँगे इस कोरोना दौर की कुछ पॉजिटिव बाते
तो चलिय शुरू करते है |
कोरोना के दौर में कुछ पॉजिटिव बाते
1― पहली बात मृत्यु दर की करें तो करीब 400 मृत्यु रोजाना हमारे देश में रोड एक्सीडेंट से होती है जो कि इस लोक डाउन के चलते नगण्य हो गई है। शमशान घाटों पर भी अंतिम संस्कार के लिए आने वाले शवों में भी 25 से 50 प्रतिशत तक की कमी आई है। अगर इसका सही से विश्लेषण करें तो पाएंगे कि सड़क दुर्घटनाओं के कारण होने वाली मृत्यु समाप्त हो गईं। प्रदूषण के चलते सांस के मरीजों को दिल्ली में नया जीवन मिला है और तनाव कम होने से हृदयाघात भी घटे हैं। यही नही अपराधों में भी बेतहाशा कमी आई है।
2― जिस प्रदूषण को हमारी सरकार कोशिशों के बावजूद भी कंट्रोल नहीं कर पाई वह अब लोक डाउन के चलते अपने आप ही कंट्रोल हो गया है शायद ओजोन लेयर भी अपने आप को रिस्टोर कर लें क्योंकि सबसे ज्यादा प्रदूषण करने वाले हवाई जहाज बिल्कुल बंद है।
3― क्राइम पूरी तरह से कंट्रोल हो गया है, आंकड़े बताते है लॉक डाउन के दौरान हिनियस क्राइम हो या अन्य घटनाएं, सभी मे कमी आयी है। सिवाय जिहादियों के वायरस जिहाद के।
Also Read:- Great Bengal Famine Cause | बंगाल अकाल का इतिहास
4― पूरे विश्व में सफाई अभियान जोरों शोरों से चल रहा है हर घर हर गली हर रास्ते को साफ किया जा रहा है छिड़काव हो रहे हैं, जिससे लगता है की कोरोना के अलावा अन्य बीमारी के कीटाणु भी इस पृथ्वी से खत्म हो जाएंगे।
5― पांचवी बात lockdown के चलते जब हम सब घरों में बंद है तो परिवार का महत्व भी हमें समझ में आ रहा है और वर्षों बाद परिवार में सब एक दूसरे से मिलजुल कर ढेरों बातें कर रहे हैं। इस से लोग संयुक्त परिवार की तरफ लौटेंगे। आज कल परिवार के साथ क्वालिटी समय बिताना एक अनूठा अनुभव साबित हो रहा है। स्लम बन चुके महानगरों से प्रवासी लोगों का अपने गांवों की तरफ लौटना भी एक दृष्टि से सही ही है। इस बहाने लोग प्रकृति की तरफ लौटेंगे। लोग ठीक ही कहते है कि हिंदुस्तान की आत्मा यहां के गांवों में बसती है। लेकिन अंधाधुंध पैसा कमाने और आधुनिकता की दौड़ ने पिछले कुछ दशकों में गांवों और शहरों के बीच एक असंतुलन बना दिया है।
6― छठी बात पशु पक्षी बहुत ज्यादा खुश नजर आ रहे हैं क्योंकि उनको सैकड़ों वर्ष पुरानी प्रकृति वापस मिल गई है। प्रकृति के लिए यह बहुत अच्छा संकेत है। लॉक-डॉउन के चलते देश के महानगरों में वायु, जल और ध्वनि प्रदूषण में भारी गिरावट आई है। बेशक यह क्षण कुछ ही दिनों के लिए है। लेकिन पर्यावरणविद इसे प्रकृति के संरक्षण के लिए एक अच्छी पहल मान रहे हैं।
दुनियाभर के प्रकृति प्रेमियों का कहना है कि जिस तरह से लॉक-डॉउन के बाद सारी दुनिया में सकारात्मक प्रभाव देखे गए। उससे यह अनुभव सामने आया कि ठोस नीति बनाकर स्वेच्छा से अलग-अलग शहरों में साल में एक बार लॉक-डॉउन करके प्रकृति के संतुलन को साधा जा सकता है।
7― सातवीं बात इस कोरोना के दौर में कोई पैसे की बात नहीं कर रहा| बल्कि लोग एक दूसरे की मदद के लिए आगे आ रहे हैं एक तरह से देखा जाए तो कोरोना ने हमें इंसानियत का पाठ पढ़ाया है और पैसे के पीछे ना भागने की सलाह दी है।
आज हाथ मिलाने की जगह हाथ जोड़कर प्रणाम करने, शाकाहार अपनाने, मृत व्यक्तियों का दाह संस्कार करने जैसी भारतीय सनातन पंरपरा की तारीफ अमेरिका, स्पेन, इटली, जापान, कोरिया, जर्मनी और दुसरे देशो के लोग भी कर रहे हैं और इसे अपनाने की वकालत भी कर रहे है।