आंध्र प्रदेश के तिरुमाला में तिरुपति बालाजी का मंदिर स्थित हैं। तिरुपति बालाजी को वेंकटेश्वर, श्रीनिवास और गोविंदा के नाम से भी जाना जाता है। तिरुमाला में स्थित यह मंदिर सबसे अमीर मंदिरों में से एक माना जाता है। यहां हर वर्ग के लोग बालाजी के दर्शन करने आते हैं। यहां फिल्मी सितारों से लेकर राजनेता आदि सभी दर्शन करने आते हैं। इस मंदिर को लेकर कई मान्यताएं विश्वास हैं। जिसकी वजह से यह इतना प्रसिद्ध है।
15वीं शताब्दी में तिरुपति बालाजी मंदिर को प्रसिद्धि मिली। इतिहासकारों का मानना है कि 5वीं शताब्दी में यह हिंदुओं का प्रमुख धार्मिक केंद्र था। और 9वीं शताब्दी में कांचीपुरम के पल्लव शासकों ने इस पर कब्जा कर लिया था। तमिल साहित्य में तिरुपति को त्रिवेंगम कहा गया है। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर की उत्पत्ति वैष्णव संप्रदाय ने की। इस संप्रदाय की मान्यता समानता में है। और शायद यही वजह है कि यहां हर वर्ग के लोग दर्शन करने आते हैं।

1. इस मंदिर के मुख्य द्वार के दरवाजे के दाईं ओर एक छड़ी रखी है। जिस छड़ी से बालाजी की बचपन में पिटाई की गई थी। और इसी वजह से उनकी थोड़ी में चोट लग गई। और तब से लेकर आज तक उनकी थोड़ी में चंदन का लेप लगया जाता है। ताकि घाव भर जाए।
2. अब बालाजी के ठोड़ी पर चंदन लगाना एक प्रथा बन गया है।
3. भगवान बालाजी के सिर पर आज भी रेशमी बाल हैं और उनमें उलझने नहीं आती और वह हमेशा ताजा लगते हैं।
4. मंदिर से 23 किलोमीटर दूर एक गाँव है, उस गाँव में बाहरी व्यक्ति का प्रवेश निषेध है। वहाँ पर लोग नियम से रहते हैं। वहां की महिलाएँ ब्लाउज नहीं पहनती। वहीँ से लाए गये फूल भगवान को चढाए जाते है और वहीँ की ही वस्तुओं को चढाया जाता है जैसे- दूध, घी, माखन आदि।
5. भगवान बालाजी गर्भगृह के मध्य भाग में खड़े दिखते है मगर वे दाई तरफ के कोने में खड़े हैं बाहर से देखने पर ऎसा लगता है।
6. बालाजी को सजाने के लिए धोती और साड़ी का प्रयोग किया जाता है। उन्हें ऊपर साड़ी और नीचे धोती पहनाई जाती है।
7. गर्भगृह में चढाई गई किसी वस्तु को बाहर नहीं लाया जाता, बालाजी के पीछे एक जलकुंड है उन्हें वहीं पीछे देखे बिना उनका विसर्जन किया जाता है।
8. बालाजी की पीठ को जितनी बार भी साफ करो, वहाँ गीलापन रहता ही है, वहाँ पर कान लगाने पर समुद्र घोष सुनाई देता है।
9. बालाजी के वक्षस्थल पर लक्ष्मीजी निवास करती हैं। हर गुरूवार को निजरूप दर्शन के समय भगवान बालाजी की चंदन से सजावट की जाती है उस चंदन को निकालने पर लक्ष्मीजी की छवी उस पर उतर आती है। बाद में उसे बेचा जाता है।
10. बालाजी के जलकुंड में विसर्जित वस्तुएं तिरूपति से 20 किलोमीटर दूर वेरपेडु में बाहर आती हैं।
11. गर्भगृह में जलने वाले चिराग कभी बुझते नही हैं, वे कितने ही हजार सालों से जल रहे हैं किसी को पता भी नही है।
12. बताया जाता है सन् १८०० में मंदिर परिसर को 12 साल के लिए बंद किया गया था। किसी एक राजा ने 12 लोगों को गलती करने पर उन्हें मारकर दीवार पर लटकाया था उस समय विमान वेंकटेश्वर प्रकट हुए ,ऐसा कहा जाता है।
13. तिरुपति बालाजी की मूर्ति हमेशा नम रहती है।
14. बालाजी मंदिर में भगवान की मूर्ति की सफाई के लिए विशेष तरह का कपूर लगाया जाता है। यह कपूर जब दीवार पर लगाया जाता है तब वह टूट जाता है। और बालाजी की मूर्ति पर लगाया जाता है तो ऐसा कुछ नहीं होता।
15. इस मंदिर में जो लोग दर्शन करने आते हैं वे अपने सिर के बालों को चढ़ाते हैं। यह बाल उनकी आर्थिक सहायता करते हैं। ताकि वे धन कुबेर का ऋण उतार सकें।
16. यह कहा जाता है कि तिरुपति मंदिर की यात्रा तभी पूरी होती है जब उनकी पत्नी पद्मावती जो कि लक्ष्मी की अवतार थीं, के मंदिर की यात्रा की जाए। माता पद्मावती का मंदिर तिरुपति मंदिर से पांच किलोमीटर दूर है।
उपरोक्त वे कारण हैं जिनकी वजह से तिरुपति मंदिर की प्रसिद्धि है। तिरुपति मंदिर एक दर्शनीय स्थल है। जो भक्त सच्ची श्रद्धा से भगवान बालाजी के दर्शन के लिए जाता है। उसकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है।
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