भारत में ऐसी कई रहस्यमय जगहें हैं, जिनके सीने में छुपे राज को आज तक कोई भी नहीं जान पाया है। एक ऐसी ही जगह है त्रिपुरा की राजधानी अगरतल्ला से लगभग 145 किलोमीटर दूर, जिसे उनाकोटी के नाम से जाना जाता है। कहते हैं कि यहां कुल 99 लाख 99 हजार 999 पत्थर की मूर्तियां हैं, जिनके रहस्यों को आज तक कोई भी सुलझा नहीं पाया है। जैसे कि- ये मूर्तियां किसने बनाई, कब बनाई और क्यों बनाई और सबसे जरूरी कि एक करोड़ में एक कम ही क्यों? इसके पीछे कई कहानियां प्रचलित हैं, जो हैरान करने वाली हैं।

इन रहस्यमय मूर्तियों के कारण ही इस जगह का नाम उनाकोटी पड़ा है, जिसका अर्थ होता है करोड़ में एक कम। इस जगह को पूर्वोत्तर भारत के सबसे बड़े रहस्यों में से एक माना जाता है। कई सालों तक तो इस जगह के बारे में किसी को पता ही नहीं था। अभी भी बहुत कम लोग ही इसके बारे में जानते हैं।
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उनाकोटी को रहस्यों से भरी जगह इसलिए कहते हैं, क्योंकि एक पहाड़ी इलाका है जो दूर-दूर तक घने जंगलों और दलदली इलाकों से भरा है। अब ऐसे में जंगल के बीच में लाखों मूर्तियों का निर्माण कैसे किया गया होगा, क्योंकि इसमें तो सालों लग जाते और पहले तो इस इलाके के आसपास कोई रहता भी नहीं था। यह लंबे समय से शोध का विषय बना हुआ है।[1]
यहां पत्थरों पर उकेरी गई और पत्थरों को काटकर बनाई गई हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियों के बारे में एक पौराणिक कथा बहुत प्रचलित है।
मान्यता है कि एक बार भगवान शिव समेत एक करोड़ देवी-देवता कहीं जा रहे थे। रात हो जाने की वजह से बाकी के देवी-देवताओं ने शिवजी से उनाकोटी में रूककर विश्राम करने को कहा। शिवजी मान गए, लेकिन साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि सूर्योदय से पहले ही सभी को यह स्थान छोड़ देना होगा। लेकिन सूर्योदय के समय केवल भगवान शिव ही जग पाए, बाकी के सारे देवी-देवता सो रहे थे। यह देखकर भगवान शिव क्रोधित हो गए और श्राप देकर सभी को पत्थर का बना दिया। इसी वजह से यहां 99 लाख 99 हजार 999 मूर्तियां हैं, यानी एक करोड़ से एक कम (भगवान शिव को छोड़कर)।

इन मूर्तियों के निर्माण को लेकर एक और कहानी प्रचलन में है।
कहते हैं कि कालू नाम का एक शिल्पकार था, जो भगवान शिव और माता पार्वती के साथ कैलाश पर्वत जाना चाहता था, लेकिन यह संभव नहीं था। हालांकि शिल्पकार की जिद के कारण भगवान शिव ने उससे कहा कि अगर एक रात में एक करोड़ देवी-देवताओं की मूर्तियां बना दोगे तो वो उसे अपने साथ कैलाश ले जाएंगे। यह सुनते ही शिल्पकार जी-जान से अपने काम में लग गया और तेजी से एक-एक कर मूर्तियों का निर्माण करने लगा। उसने पूरी रात मूर्तियों का निर्माण किया, लेकिन जब सुबह गिनती की गई तो पता चला कि उसमें एक मूर्ति कम है। इस वजह से उस शिल्पकार को भगवान शिव अपने साथ नहीं ले गए। माना जाता है कि इसी वजह से इस जगह का नाम ‘उनाकोटी’ पड़ा।[3]