ऐरावत का श्राप

ऐरावत का श्राप

ऐरावत भगवान इन्द्र देव का वाहन है| और यह 14 रत्नों में से एक है जो समुन्द्र मंथन से निकले थे|

ऐरावत

ऐरावत

ऐरावत को हाथिओं का राजा भी कहा जाता है| जिसकी शक्ति लगभग एक वज्र बराबर होती है|

उपाधि

उपाधि

ऐरावत के कई अन्य नाम भी है, अभ्रमातंग, ऐरावण, श्वेतहस्ति, मल्लनाग, हस्तिमल्ल, सदादान, सुदामा, श्वेतकुंजर, गजाग्रणी, नागमल्ल आदि|

नाम

नाम

ऐरावत के चार दाँत और सात सूंड या दस दाँत, पाँच सूंड और दस दाँत, प्रत्येक दस दिशाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं।

रूप

रूप

ऐरावतेश्वर मंदिर, जो की ऐरावत को समर्पित है,  एक हिंदू मंदिर है जो दक्षिणी भारत के तमिलनाड़ु राज्य में कुंभकोणम के पास दारासुरम में स्थित है।

मंदिर

मंदिर

दुर्वासा ऋषि ने ऐरावत को एक साधारण हाथी के रूप में पृथ्वी पर जन्म लेने का श्राप दिया था। मगर इंद्रा के क्षमा मांगने पर इसका समाधान भी ऋषि ने दे दिया था|

श्राप

श्राप

ऐरावत के जन्म की अलग अलग पुरानो व ग्रंथो में अलग अलग कहानी प्रचलित है|